ये अफ़साना बहुत है पुराना ,
सुकून साथ सुना रही हूं ,
बीते पन्नो की गाथाएं हैं ऐ,
बस यु ही बता रही हूं।
अश्क था उन आखों
दर्द का सितम देखकर
खामोशी थी उन चेहरो पर ,
खिदमत की सजा पाकर
खेल खून की होली नफरत का आगोश ले आयी
लेकिन आजाद कर गए कौम को मुस्कराहट और खुशियों का तोहफा ले आयी ।
ये अफ़साना बहुत है पुराना ,
सुकून साथ सुना रही हूं ,
बीते पन्नो की गाथाएं हैं ऐ,
बस यु ही बता रही हूं।
मुश्किलें थी उन राहों में
वक़्त समंदर को देखकर
गुलामी थी जहा में
आज़ादी आरज़ू सुनकर
कबूल उनकी हार मुस्कुराहट पैगाम ले आई ,
लेकिन जख्म दे छोड़ गए इस दुनिया को
गमो का शैलाब ले आयी
ये अफ़साना बहुत है पुराना ,
सुकून साथ सुना रही हूं ,
बीते पन्नो की गाथाएं हैं ऐ,
बस यु ही बता रही हूं।
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