शीर्षक-: मेरी कलम का बस इतना ही अरमान है
मेरी कलम का बस इतना ही अरमान है,
यह चले उन शहीदों के लिए,
जिनका भारत की रक्षा में,
अमर गौरव गान है,
जिन्होंने प्राण देकर इस देश का बढ़ाया मान है,
जिन्होंने अपनी जान देकर रखा इसका अभिमान है,
ऐसे हर शहीदों को मेरी कलम का बार-बार सलाम है,
ऐसे शहीदों को मेरी कलम का बार-बार प्रणाम है,
ज्ञात या अज्ञात जिनके नाम है,
सभी को मेरा प्रणाम है,
इस देश के सम्मान पर,
जिन्होंने खुद को कुर्बान कर,
अपने घर को वीरान कर,
अपनों के सपनों को सुनसान कर,
इस देश को दिया नवजीवन का वरदान है,
सरहद पर मरने वाले हर शहीद को,
मेरा बार-बार प्रणाम है,
मेरा बार-बार सलाम है,
जिनके मासूम बच्चों के सपने,
वो थे इकलौते बूढ़े मां बाप के अपने,
किसी के माथे का सुहाग,
बहनों की राखियों का हिसाब,
सब कुछ अर्पण कर बैठे,
इस मिट्टी के नाम,
ऐसे महान दीवानों को,
ऐसे वीर जवानों को,
मेरा सलाम मेरा प्रणाम,
भले ज्ञात ना हो सबके नाम,
ऐसी हर शहीदों को मेरी कलम का बार-बार प्रणाम,
ऐसे हर वीरों को मेरी कलम का बार-बार सलाम|
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