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  • एक शाम शहीदों के नाम

    एक शाम शहीदों के नाम

  • मानव की अभिलासाये

    मानव की अभिलासाये

    बैठा था एक शाम धूप के किनारे तभी आंखे जा पहुंची एक मनोरम दृश्य पर मानो अटक सी गयी उसके प्रकाश मानो आंखों को चूम रहे हो खुशी में झूम रहे हो आकांक्षाओ से भरी आंखे चमक उठी आंखे भरी दिल बैठ सा गया आंखे मिजने पर ज्ञात हुआ सपना मानो टूट सा गया सौन्दर्य…

  • माँ तु मेरा सूरज है

    माँ तु मेरा सूरज है

    मां तू कहती है मैं तेरा चांद हूं | लेकिन मैं कहता हूं तू मेरा सूरज है || जिस तरह सूरज की किरण पेड़ पौधों को जीवन देती है| उसी तरह तूने मुझे जीवन दिया है मां तू मेरा सूरज है|| जिस तरह सूरज की किरण पृथ्वी का लालन-पालन करती है | उसी तरह तू…

  • माँ तु मेरा सूरज है

    माँ तु मेरा सूरज है

    मां तू कहती है मैं तेरा चांद हूं | लेकिन मैं कहता हूं तू मेरा सूरज है || जिस तरह सूरज की किरण पेड़ पौधों को जीवन देती है| उसी तरह तूने मुझे जीवन दिया है मां तू मेरा सूरज है|| जिस तरह सूरज की किरण पृथ्वी का लालन-पालन करती है | उसी तरह तू…

  • Broken heart

    Broken heart

  • Hamare rishte

    Woh hamari raah me aaye Jo lamhe humne savare the sapno me liye Raaho me khogaye the Waqt ne hame niwaza Jo inhi chutkule si baato me Humne likh diya un yaado ko Umeed se bane hue riste bante he Bekhar ne ke liye

  • Ehasas pyaar ka

    guzare hue pal unko yaado me kabhi toh Mukammal karege jinse unhe apne andar samae tasveer ko parakh ne me aur pahechan kar ke dilasa hoga na jane ki ek kavita ka matlab uss didar bhare eqaraarr par hoga

  • काला जादू।

    काला जादू।

    दुनिया के अंत पर कयामत की रात ब्रह्मांड के ढह जाने के बाद आप क्या सोचते है प्यार रहेगा या रह जाएगा खुदा का अस्तित्व या फिर अच्छाई घूमेगी इस कोने से उस कोने तक संतो की मंत्रोच्चारण गूंजेगी चहु ओर या धर्म का होगा राज्याभिषेक दानियों को सौंपा जाएगा ये शून्य राज्य या यज्ञ…

  • मै वापिस आऊंगा…

    शायद ज़िंदा, या शायद मुर्दा, मै वापिस आऊंगा | तिरंगा लहराकर, या तिरंगे में लिपटकर, मै वापिस आऊंगा | चुनौतियों से नहीं डरा कभी, तो मौत से क्यों घबराऊँगा ? फ़ौज के सामने निहथ्था लड़कर भी, मै वापिस आऊंगा | दिल-ओ-जान कुर्बान तुझपे, ए माँ ! तुझे ना भूल पाउँगा | युद्धभूमि तो क्या; जन्नत…

  • कयो इंसानियत ने मार ङाला इंसानियत ने इंसानियत कयो

    कयो इंसानियत ने मार ङाला इंसानियत ने इंसानियत कयो

    इंसानियत ने खींच दी नफरत की दीवार , सजा दिए दो मुल्क नफरत की बुनियाद पर , तोड़ दिया हिंदुस्तान के दिल को टुकड़ों में । कहीं याद किया अल्लाह को , तो कहीं राम को । कही बने चाचा नेहरू तो कहीं मोहमद जिन्नह खड़ी कर दी नफरत की दीवार और मार डाला इंसानियत…