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Dinesh wrote a new post 11 years, 4 months ago
क्यूँ लिखता है श्रृंगार का ये कवि शब्दों से अंगार
जब शीश कटता है सीमा पर मेरे देश के जवान का…
लहू उबलता है जब पूरे हिंदुस्तान का………………
मेरी भी रगों का तब खून खोलता है……………….
कतरा-कतरा […] -
Dinesh wrote a new post 12 years, 7 months ago
ठहरा हुआ है जो वक्त सदियों से, अब तो बदलना होगा
जल पड़ी चिंगारी को और सुलगना होगा………………
बुझती राख के ढेरों को शोलों में बदलना होगा……….
उबालो ज़रा लहू बदन का, थामों मशालें हाथों […] -
Dinesh became a registered member 12 years, 7 months ago