@dipak
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dipak posted an update 12 years, 4 months ago
अनजाने में ही
नगर बस सेवा की बस के
हिचकोले ने
दे गया
जीवनभर का दंश।झेल पाना
कितना मुश्किल है
मेरे लिए …
कुछ के लिए
आसान कैसे
छल-प्रपंच।तुमने तो भूलवश
छुआ था क्षणिकभर
आैर मजबूरी में
मैंने थामा था तुझको
तिस पर भी
लील लिया था स्वयं ही
शर्म के लिहाफ में।जाने किस मोड़ पर
छूट गया वो दिन
कहां गया वो मंजर
आ…[Read more] -
dipak posted an update 12 years, 4 months ago
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dipak posted an update 12 years, 4 months ago
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dipak wrote a new post 12 years, 7 months ago
कैसे मनाऊं मैं आजादी,
अभी आजाद होना बाकी है
अभी आजाद होना बाकी है।रूठने को तैयार पूर्वांचल,
कटने को तैयार कश्मीर।
हर तरफ है मुंह फैलाया,
सांपों का जंजाल यहां।
कितने हैं अभी भूखे नंगे,
उसे पूरा करना बाकी […] -
dipak became a registered member 12 years, 8 months ago