सफलता….
सफल हुआ है वहीं परिंदा
जिसने इस जग को देखा है
अपने अमूल्य आदर्शों की
गांठ को जिसने जोड़ा है
है जिसकी आत्मा स्वपनों को
साकार करें सारे जग में
निम्न अंगारों को जिसने
हंसकर इस जग में झेला है
बना जो जग में लाल किसी का
वो पुत्र अमृत का प्याला है
ना कभी किसी से बैर किया
ना कभी किसी को ललकारा है
तू इस भावी पीढ़ी का ही
मंत्र एक उजियारा है
सेवा ही है दान हमारी
हम ही देख पहचान है तेरी
ना मिटने देंगे नाम तेरा
ना शान तेरी झुकने देंगे
तू जहां चलेगी मातृभूमि
हम शत् शत् नमन तुझे देगे।
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