शीर्षक-: वह थे अलबेले, वह थे मस्ताने
वह थे अलबेले, वह थे मस्ताने,
ना जाने क्या बात थी उनमें,
किस कदर थे देशभक्त वो,
जाने क्या जज्बात थे उनमें,
हंसते हंसते मर जाते थे,
हंसते-हंसते मिट जाते थे,
वह भी अपनी मातृभूमि पर,
ना रुकते थे, ना झुकते थे,
लिए संकल्प डटे रहते थे,
चाहे कठिन हो कितने रसते,
चाहे कठिन हो कितने रसते,
वह थे अलबेले, वो थे मस्ताने
चाहे कितनी गर्म हो धरती,
चाहे हर पल देह हो तपती,
चाहे प्यास के मारे मन,
हार जाए जीवन तन,
पर वह अडिग खड़े रहते थे,
लिए कर्तव्य पथ को हंसते-हंसते,
वो थे अलबेले, वो थे मस्ताने,
चाहे जितना सर्द हो मौसम,
चाहे गिरे ओले या बम,
चाहे जम जाए बर्फ में दबकर यह तन,
चाहे थम जाए ठंड से हृदय की धड़कन,
पर वह हर पल लगे रहते थे,
अपना सब कुछ अर्पण कर,
अपना सब कुछ तर्पण कर,
वहां थे अलबेले, वह थे मस्ताने
ना जाने क्या बात थी उनमें………
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