[6/19, 5:59 PM] Madhu: बगिया का माली
एक पिता ही होता है
अपने बच्चों की
बगिया का माली
कठिन परिश्रम से
सींच सींच पौधों को
मजबूत बनाता है
आनंद विभोर हो जाता है
पौधा जब वृक्ष बन
इठलाकर सबके सम्मुख आता है
सीना चौड़ा हो जाता है
सुख सपनों में खो जाता है
बच्चों के लालन-पालन का
श्रेय उसी को है जाता
कठोर नियम की धारा
अनुशासन को अपनाता है।
दिखता नारियल सा है सख्त
किंतु सदय हृदय
और होता भावुक हैं
कठिन समय में
आंसू एक नहीं छलकाता है
मन ही मन बहुत है रोता
सब में ढांढस की
किरण जगाता है
बच्चों का जीवन बनाने को
कुछ भी है कर जाता
घर घर का आदर्श
पिता ही होता है
निडर भाव से जीते हैं
जीवन के रस भी
वह पीता है
नन्हों मुख देख देख
वह अपनी तपन
कोसों दूर भगाता है
बच्चों का सच्चा
साथी ही कहलाता है।।।।
मधु प्रधान मधुर
[7/9, 10:31 AM] Madhu: हस्ती पहचानो
चीन तुम बजाओ बीन
अपनी हस्ती को पहचानो
भारत से पंगा मत ठानो
रह जाओगे अति क्षीण
धोखे से मार जवानों को
वलगाव घाटी के सरताज
नहीं बन पाओगे
धोखेबाज ही कहलाओगे
अपना मान गवांओगे
यह जीत नहीं हार हुई है
अब अपने मुंह की खाओगे
भारत में आग लगाई है
उसमें जलकर भस्म हो जाओगे
विश्वास जीत न पाओगे
हर बात में ,हर चीज में
धोखा देते हो
फिर तुम भी धोखा खाओगे।।।
मधु प्रधान मधुर
शूर साहसी
अदम्य शूर साहसी
बढ़े चलो बढ़े चलो।।
तुम निडर डरो नहीं
तुम निडर डटो वहीं।।
चीन की गीदड़ भभकियां
लगी हुई हैं होंसले छुड़ाने को
किन्तु तुम वीर हो विजयी हो
वतन की तुम शान हो
हमको तुम पर नाज है
बढ़े चलो बढ़े चलो।।
माना, राह बहुत कठिन है
जान जोखिमों से भरी हुई
तार आशा का जुड़ा है
जन जन तुम्हारे साथ है
न हो हताश ऐ जवान
बढ़े चलो बढ़े चलो।
चीन में न है इतना दम
भुजाओं की फड़क
को वे सह सकें
बिजलियां सहस्त्र कड़क उठे
निर्भय तुम खड़े रहो
सैन्यदल है साथ साथ
भारत मां के लाल भी
सभी चलेंगे साथ साथ
बढ़े चलो बढ़े चलो।।।।।
मधु प्रधान मधुर
[8/17, 1:32 PM] Madhu: मेरा प्यारा सबसे न्यारा मेरा भारत देश
कल- कल करके नदिया बहती
झर-झर करके झरने बहते
आँखों में बसते दृश्य मनोहर।
नित्य नये त्योहार मनाते
आलाप मधुर संगीत सुनाते
बच्चो के मन चहक -चहक है जाते
रसमयी गागर सब छलकाते।
सूर्य चन्द्र नक्षत्र और पशु-पक्षी भी
यहाँ पूजे जाते हैं।
खुश तुष्ट हो अतिथि जाते
गुणगान यहा का वे सुनाते कमी नहीं है।
पर्वत घाटो की गेंहू चना धान मक्का के
खेत खूब लहराते
फल फूलो के बाग बगीचे
इस धरती की शान है।
भरी हुई है प्रकृति संपदा
भारत में आपस में मेल बढ़ाती सी है
अनेक भाषाएँ वेशभूषा यह बात किसी
को पच नहीं पाती
इस देश की यही है थाती।
बारी-बारी मौसम है आते
रोज नये रंग बरसाते हैं
परिवारों का बंधन है मजबूत
यहाँ चट्टानों सा है जीवन सबका।
वीर शिवाजी औ लक्ष्मीबाई की
गाथाएँ सबको याद जवानी है
शहीद भगत और आजाद की
सरफरोशी की तमन्ना सबने ही समानी है।
वेद व्यास औ कृपाचार्य का
बुद्धि बल व्याप्त हुआ जगह में
गौतम बुद्ध महावीर से ऋषियो ने
अपने उपदेशों से लोगों में फूँका
ऐसा मन्त्र मनोहर
उमड़ी त्याग तप की भावना
भरत नाम से बना यह भारत देश
करते शत-शत तुम्हें प्रणाम।।
मधु प्रधान मधुर
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